2011-11-21

स्वर्णिम यादें !

दिनांक 19 नवम्बर 2011 : प्रात: 00 : 30 बजे :

अभी - अभी विश्वविद्यालय के डिपार्टमेन्ट से लौटा हूँ । चलते चलते फेसबुक पर नजर पड़ी तो देखा कि हमारे हाई - स्कूल (1992) के जमाने की क्लास की एक ग्रुप फोटोग्राफ जयश्री शुरेश ने आनलाईन होस्ट कर दी है । और उस फोटो को देख कर उस जमाने के बहुत से संगी - साथियों ने अपने - अपने उदगार निकालना शुरू कर दिया है । मेरी नजर शायद उस फोटो पर बहुत देर से पड़ी । मुझसे पहले ही काफी टीका - टिपण्णी हो चुकी है ।

ज्यादातर लोग तो उन दिनों को याद करके भाव - विभोर हो रहें हैं । कुछ लोग उस तस्वीर में दिख रहे लोगों को पहचाननें में व्यस्त हैं, तो कुछ उन लोगों का अता - पता पूछ रहें हैं जो कि उस तस्वीर में तो हैं पर फेसबुक पर नहीं । समय से साथ यादें भी धुंधली पड़ चुकी हैं - इसका जीवान्त उदाहरण रहा कि फोटो में दिख रहे सभी लोगों के नाम शायद कोई भी सही - सही नहीं बता पाया । कुछ नाम गलत लिखे थे, तो कुछ नामों पर जिसको जितना याद आया अपनी यादों के धुंधले साये से निकाल कर फेसबुक की दीवार पर उकेरता चला गया ।

इस स्वर्णिम अवसर पर मैने भी अपना स्मरण कौशल दिखाया और उस समय की अपनी सहपाठी स्वाति कपूर के नाम को दुरुस्त करने की टिपण्णी कर दी । हिमांशू भट्ट ने इसे स्वाति जैन बताया था । इसके अतिरिक्त अमरजीत सिंह, पी. सुदीप, विवेक वैध, आदि - जिनके की नाम अभी तक स्पष्ट रूप से नहीं बताये गये थे - को चिन्हित कर के सबकी जानकारी के लिये छोड़ दिया ।

अविनीश श्रीवास्तव चाहतें हैं कि किसी व्यक्ति को अन्य शेक्शन के सहपाठियों के भी ऐसे ही ग्रुप फोटो होस्ट करने चाहिये । वहीं सौम्या पाठक को ठीक से स्मरण नहीं की वो फोटो खिचनें वाले दिन कहाँ थी । वो पक्के तौर पर तो नहीं कह सकती पर उसने संभावना जतायी है कि शयाद वह उस दिन स्कूल न आयी हो ।

फोटो में मैं नहीं हँ । मुझे भी याद नहीं की मैं उस दिन कहाँ था । शायद मैं भी स्कूल न गया हूँ । पर उस दिन क्या मालूम था कि एक दिन इस स्वर्णिम याद को यों देखने और पुन: जीने का मौका मिलेगा ।

 

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