दरकते दरख्तों ने हमें ये सिखाया है,
ज्यादा तालीम ने इंसा को कमजोर बनाया है |
बंद करो ये स्कूल, कालेज, मदरसे,
जिसने सिर्फ दो रोटी कमाने का फलसफा पढ़ाया है |
न रही रहनुमाई, न नुमाइंदे, न नुमाइंदगी
बस धक्कम-पेल जम्हूरियत का चक्का घुमाया है |
कुछ दरक गये, कुछ दरक रहें हैं
जिन पर था मेरी कश्ती खेने का दारोमदार
उन्होंने ही उसे छिछले पानी में डुबाया है |
चार हर्फ़ क्या पढ़ लिए,
दो जून की मशक्कत में चल दिए,
भुला दिए साथी, सरोकार और मुल्क
फिर इस कमीनगी को
'नयी आबो हवा' का जामा पहनाया है |
कभी सोंचा, जब दरक जायेंगे सब
कौन, किसको, क्या मिल जाएगा
होगी पास शायद बहुत सी दौलत
बस और क्या ?
क्या नहीं हमने
इस गुलामी का परचम खुद फहराया है |
दरकते दरख्तों ने हमें ये सिखाया है
ज्यादा तालीम ने हमें कमजोर बनाया है |
Farewell to the Blogger in Draft Blog (and hello +Blogger!)
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The Blogger team recently posted that The Blogger In Draft Blog Is Being
Retired. But don't worry if (like me) you favour using all the shiny new
stuff in ...
12 years ago
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